बेड़ा गर्क कर रखा है आज की पीढ़ी ने बेड़ा गर्क कर रखा है आज की पीढ़ी ने
अगर मनुष्य जाति अब भी नहीं समझती है तो इसे आगे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर मनुष्य जाति अब भी नहीं समझती है तो इसे आगे बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
वास्तव में सोचने वाली बात है, हम कितना ही ऊंच-नीच मान लें, अंत में उसी अग्नि से इस शरीर वास्तव में सोचने वाली बात है, हम कितना ही ऊंच-नीच मान लें, अंत में उसी अग्नि से ...
लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
" तू काहे रोती है, पगली ! सुहाग की निशानी साथ लेकर जाऊँगी।" " तू काहे रोती है, पगली ! सुहाग की निशानी साथ लेकर जाऊँगी।"
स्कूल पूरा होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मैं दूसरे शहर आ गया। स्कूल पूरा होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मैं दूसरे शहर आ गया।